2025 में भारत की स्थिति: प्रगति, चुनौतियां और वैश्विक प्रभाव

सैफी हुसैन
सैफी हुसैन, ट्रेड एनालिस्ट

भारत, जिसकी पहचान दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और विविध सांस्कृतिक धरोहर के रूप में है, 2025 में एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभर चुका है। मगर इस विकास के पीछे कई पेचीदा परतें हैं—जहाँ एक ओर तकनीकी प्रगति है, वहीं दूसरी ओर सामाजिक असमानता और पर्यावरणीय संकट भी हैं।

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अर्थव्यवस्था: तेज़ी के साथ-साथ असमानता की चुनौती

भारत की अर्थव्यवस्था अब $4.3 ट्रिलियन तक पहुँच चुकी है, जिसमें सेवा क्षेत्र, डिजिटल इंडिया, और मेक इन इंडिया जैसे अभियानों का बड़ा योगदान है। लेकिन इस तेज़ विकास के बावजूद 80 करोड़ लोग सरकारी राशन पर निर्भर हैं।

बेरोजगारी, महंगाई और विदेशी निवेश में गिरावट ने मध्यम वर्ग और ग्रामीण भारत को झकझोर दिया है। ग्रामीण आय असमानता और कृषि संकट भी गहराते जा रहे हैं।

सामाजिक संरचना: विविधता के बीच विषमता

भारत की विविधता उसकी ताकत है, लेकिन जातिगत तनाव, धार्मिक ध्रुवीकरण, और लैंगिक हिंसा समाज में गहरी दरारें डालते हैं।

महिलाओं को स्थायी कमीशन की दिशा में सुप्रीम कोर्ट के फैसले, और लैंगिक समानता की बातें ज़रूर हो रही हैं, लेकिन ज़मीन पर 83 करोड़ लोग अभी भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं।

राजनीति: लोकतंत्र बनाम ध्रुवीकरण

भारत का लोकतंत्र अभी भी मजबूत है, लेकिन मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति जैसी घटनाएं लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वायत्तता पर सवाल उठाती हैं।

जहां एक ओर PM-SURAJ पोर्टल जैसे प्रयास हुए हैं, वहीं विपक्ष का आरोप है कि सरकार की नीतियाँ पूंजीपतियों को लाभ पहुंचा रही हैं, जिससे समाज में विभाजन बढ़ रहा है।

शिक्षा और स्वास्थ्य: प्रगति और पैबंद

Pullampara पंचायत के 100% डिजिटल साक्षरता की उपलब्धि प्रेरणादायक है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता अब भी कमज़ोर है।

स्वास्थ्य क्षेत्र में कोविड-19 के बाद सुधार जरूर हुआ, लेकिन आपातकालीन सेवाओं की कमियाँ अब भी सामने आ रही हैं—जैसे हाल की विमान दुर्घटनाएं और प्राकृतिक आपदाएँ दर्शाती हैं।

पर्यावरण: हरित पहल बनाम जमीनी हकीकत

जलवायु परिवर्तन भारत की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बन गया है। 2025 में गर्मी की लहरें और अनियमित मानसून ने उत्तर भारत को बुरी तरह प्रभावित किया।

हालांकि, सौर ऊर्जा निवेश, हरित टेक्नोलॉजी, और AC के नए पर्यावरणीय नियम उत्साहजनक हैं, लेकिन शहरी-ग्रामीण विकास में संतुलन अभी भी एक दूर का सपना है।

कूटनीति की नई परिभाषा

भारत ने G7 में अपनी भागीदारी, साइप्रस जैसे देशों से संबंध, और ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों के जरिए अपना प्रभाव बढ़ाया है।

मगर, ईरान-इज़राइल तनाव और भारत-पाक संबंधों की खटास ने कूटनीतिक चुनौतियां बढ़ा दी हैं।

छलांग

भारत का QpiAI-Indus पहला क्वांटम कंप्यूटर बन चुका है, जो इसे वैश्विक टेक हब की तरफ ले जा रहा है। लेकिन डिजिटल डिवाइड अब भी लाखों लोगों को इससे दूर रखता है।

स्टार्टअप कल्चर फलफूल रहा है, पर इसके लाभ अब तक हर वर्ग तक नहीं पहुँच पाए हैं।

सुरक्षा और आतंकवाद: सतर्क लेकिन तनावग्रस्त

पहलगाम जैसे आतंकी हमले अभी भी भारत की सुरक्षा के लिए चुनौती हैं। सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है, लेकिन सीमा पार तनाव कायम है।

भारत का भविष्य किसके हाथ में है?

2025 का भारत एक उभरती हुई शक्ति है—जहां तेज़ आर्थिक प्रगति, कूटनीतिक मजबूती और तकनीकी नवाचार हैं। लेकिन अगर सामाजिक असमानता, पर्यावरणीय असंतुलन और राजनीतिक ध्रुवीकरण को नजरअंदाज़ किया गया, तो यह विकास अधूरा रह जाएगा।

भारत का भविष्य उसकी विविधता को अपनाने, नवाचार को सबके लिए सुलभ बनाने, और समाज को एकजुट रखने की क्षमता पर निर्भर करता है।

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